THE BASIC PRINCIPLES OF BHOOT KI KAHANI

The Basic Principles Of bhoot ki kahani

The Basic Principles Of bhoot ki kahani

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Bhoot ki kahani

बहुत पुरानी बात है तब पानी के ज्यादा शाधन नहीं हुआ करते लोग कुए बाबड़ी तालाब आदि से पानी पिया करते थे! तो यह कहानी […]

‌ यह एक आंखों देखी घटना है। एक बार गर्मी के छुट्टियों में मैं और मेरी बहन मामा के घर घूमने गए थे। मामा के घर में नानी मुझे बहुत प्यार करती थी । और मेरी बहनों को यह पसंद नहीं आता था । क्योंकि वे थोड़ी शरारत वाली और थोड़ी मस्ती भी करती थी।

कि हमारा खुद का बड़ा घर हो।जब हम लोग घर में रहने गए। तो हमे एक बेचैनी सी महसूस हो रही थी । और हम रात को देर से सोते थे । क्योंकि हमें डरावनी पिक्चर बहुत पसंद थी। और हम देर रात तक टीवी देखते रहते थे।

और सब लोग एक साथ ही बैठना याद रहे की कोई अकेले कहीं उठकर नहीं जाएगा।

औरत ने पूछा क्या लाऊं फिर अघोरी ने बोला जैसे नींबू ,सवा किलो मिठाई, सवा मीटर लाल कपड़ा और एक फूलों का हार लेकर आओ .

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दमयंती....... एक किन्नर का बदला अर्चना भालेराव "प्राहेहल"

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एक दिन, गौरब के दोस्तों ने उसे गांव की सीमा के बाहर एक पुराने सुनसान घर पर जाने के लिए उकसाया। उनके दोस्तों ने कहा कि उस घर में कई साल पहले मौत हो गई एक महिला की भूत घूमती है। उसने अपने दोस्तों की बात मान ली और उस घर में जाने के लिए राजी हो गया।

Bloody mary ek daayan hai ye key nahi janta ye kahani internet me published kiya ja raha hai aur ise major bhi browse kar chuka hoon internet me iski kai jagah alag alag post kiye gaye hai par key read kar chuka hoon bloody mary ka take a look at bhi kar chuka hoon par mujhe kuch mehsus na hua hai na maine dekha kai log kehte hai raat me mirror ke sampne ek mombatti sirf jalna chahiye aur har ek kamra aur room ka light change off hona chahiye aur mirror ke samne khade hokar mirror me dekh kar 3 baar bloody marry pukaro woh tumhe dikhai degi maine to ise raat ke waqt kar ke dekha mujhe to kuch nahi dikha agar kuch aur jada jankari ho to mujhe remark karo

‌आज मैं आप सभी को एक सत्य घटना के बारे में बताने जा रहा हूँ। मेरे मित्र के पिता लाल सिंह बैंक में एक कर्मचारी थे । वह भूत प्रेत जैसी आत्माओं का बहुत मजाक उड़ाते थे । वह कहते थे कि शैतानी शक्तियों जैसी कोई चीज नहीं होती। और वह चाहे रात हो या .

, लेकिन फिर से ऐसा हुआ तो वह चौंक कर उठ गया। उसने चारों तरफ देखा तो वहां कोई भी नहीं था। रमेश को लगा कि उसने फिर से कोई बुरा सपना देखा है। रमेश यह सब सोच ही रहा था कि उसे पायल की आवाज आई। उसने चारों तरफ देखा तो उसे एक लड़की जाती हुई दिखी। रमेश उस लड़की को आवाज देकर रोकने लगा। रुको, अरे सुनो, रुको। वह जैसे ही उस लड़की के पास गया तो वह लड़की गायब हो गई थी। रमेश इस बार घबरा गया था। उसके माथे का पसीना साफ साफ बता रहा था कि वह बुरी तरह से डर गया है।

उस दिन से वह घर भुत से आजाद हो गया। गांब वालो ने सारे बच्चों के साहस की तारीफ की और सबको इनाम भी दिया।

रमेश छलावे का नाम सुनकर बुरी तरह से कांप उठा। वह जल्दी से स्टेशन से भागने लगा। प्रसाद ने उसे समझाया कि ऐसे भागने से कोई फायदा नहीं है। बस इन सबका एक ही इलाज है कि जब भी तुम्हारा ध्यान अपनी तरफ खींचने की कोशिश करें तो तुम्हें इन पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देना है और छलावे से बातें तो बिल्कुल भी नहीं अपनी आंखें मली। उसे फिर भी वह आदमी धुंधला ही दिखाई दे रहा था।

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